छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है, और इसकी क्या मान्यताएं हैं
दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली से पहले छोटी दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि, इस दिन हनुमान ज्यंति भी होती है और इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का बध किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन दिवाली से कम मात्रा में दीप आदि प्रज्वलित किए जाते हैं। इस दिन सौंदर्य व्रत भी रखा जाता है।
दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली से पहले छोटी दिवाली इसलिए मनाई जाती है क्योंकि, इस दिन हनुमान ज्यंति भी होती है और इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का बध किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन दिवाली से कम मात्रा में दीप आदि प्रज्वलित किए जाते हैं। इस दिन सौंदर्य व्रत भी रखा जाता है।
दिवाली का पर्व 5 दिनों तक चलता है और धनतेरस से इस पर्व की शुरुआत होती है. धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी का त्योहार आता है जिसे छोटी दिवाली और रुप चौदस भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है और मान्यता है कि यह पूजा मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने का उपाय है. धनतेरस के अगले दिन ही नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली मनाई जाती है जो कि इस साल 11 नवंबर 2023 को है
छोटी दिवाली पर नरक चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। 11 नवंबर को 1 बजकर 59 मिनट से चतुर्दशी तिथि आरंभ हो रही है और अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर के 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। छोटी दिवाली 11 नवंबर शनिवार 2023 को मनाई जाएगी।
मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का वध किया था। नरकासुर ने 16 हजार से ज्यादा महिलाओं को अपनी कैद पर रखा थआ। जिन्हें भगवान श्री कृष्ण ने आजाद कराया था। तब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दिया जलाया जाता है। इसे दक्षिण दिशा में जलाया जाता है। साथ ही यह दिया पितरों के नाम का भी होता। इस दिशा में दिया जलाने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। साथ ही यम के नाम का यह दीपक व्यक्ति को अकाल मृत्यप का भय ख्तम होता है। साथ ही सभी पापों का नाश होता है। ध्यान रखें की छोटी दिवाली के दिन अपने घर में कम से कम 5 या 7 दिए जरुर जलाएं जिनमें से एक दक्षिण दिशा में घर से बाहर रख दें।
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है. कहते हैं कि इस दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है. ऐसी भी मान्यता है कि राम भक्त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्म लिया था. इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है.
नरक चतुर्दशी या फिर यम चतुर्दशी और रुप चतुर्दशी या रुप चौदस इसे कई तरह के नामों से जानते हैं. ये पर्व नरक चौदस और नरक पूजा के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन लोग इसे छोटी दिवाली के तौर पर मनाते हैं, इस दिन यमराज की पूजा करते हैं और साथ ही व्रत रखते हैं. इस दिन पूजा करने से नरक जानें से आपको मुक्ति मिलती है.