उत्तराखंडदेहरादूनसांस्कृतिक

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं, जाने क्यों मनाते हैं दिवाली और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है

दिवाली मां लक्ष्मी की पूजा का त्योहार है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत दीपोत्सव के साथ किया था। साथ ही इस दिन को माता लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस भी माना जाता है। हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी का सबके घरों में आगमन होता है। इस कारण लोग अपने घरों को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाते हैं।

दिवाली मां लक्ष्मी की पूजा का त्योहार है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत दीपोत्सव के साथ किया था। साथ ही इस दिन को माता लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस भी माना जाता है। हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी का सबके घरों में आगमन होता है। इस कारण लोग अपने घरों को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाते हैं।

मान्यता है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की विधिनुसार पूजा अर्चना करने से घर में खुशहाली बनी रहती हैं। साथ ही आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। इस वर्ष दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। इस दिन की सुबह से ही घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है और पूजा की तैयारियां की जाती है। हालांकि, कुछ ऐसे काम भी होते हैं जिन्हें सुबह के समय ही करना शुभ माना जाता है। चलिए जानते हैं कि, दिवाली की सुबह कौन से कामों को करना चाहिए।

बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि पुराने समय में कार्तिक मास में विशेष कर दिवाली के दिन आकाशदीप जलाया जाता था। आकाशदीप जिसे आकाश कंदील भी कहा जाता है, इसे दिवाली के सजावटी सामानों का अहम हिस्सा माना गया है। इसे लोग अपने पितर देवता की याद, तो बहुत से लोग घर को सजाने के लिए जलाते हैं। बहुत से लोग इसे माता लक्ष्मी और गणेश को अपने घर में आमंत्रित करने के लिए जलाते हैं।

शास्त्रों का मानें तो आकाश दीप जलाने की परंपरा रामायण काल से हैं। मान्यता है कि भगवान श्री राम जब लंका से रावण का वध कर लौटे थे तब अयोध्या के लोगों ने, भगवान राम के स्वागत में इस आकाशदीप को जलाए थे। लोग भगवान श्री राम को अयोध्या के दीपोत्सव को दूर तक दिखाने के लिए बांस का खूंटा बनाकर उसमें दीये की रोशनी किए थे। पुराने समय में बाजार से आकाशदीप या कंदील खरीदने के बजाए घर पर ही बांस के खूंटे से बनाया करते थे।

कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 13 नवम्बर दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में दीपावली का पर्व 12 नवंबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम माना गया है।

 

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त – 12 नवंबर शाम 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक।

दिवाली के त्यौहार में सबसे ज्यादा महत्व लक्ष्मी जी के पूजन का होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा विधि विधान के साथ करने से घर में सुख समृद्धि सदैव बनी रहती है और कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

 

प्रकाश का ये पर्व मुख्य रूप से लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन के लिए ख़ास माना जाता है। इस साल दिवाली 12 नवंबर को पड़ेगी और इस दिन यदि आप विधि-विधान के साथ पूजन करेंगी तो ये आपके जीवन में समृद्धि के मार्ग खुल जाएंगे और आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी होगी। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस दिन किस विधि से किया गया पूजन फलदायी होता है।

दीपावली पूजन विधि

1. दिवाली के दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है। उनके पूजन के लिए सबसे पहले आप पूजा स्थान को साफ़ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।

2. चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें। यदि संभव हो तो नई मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें और गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।

इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करनी चाहिए।

3. पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें और चौकी पर भी थोड़ा गंगाजल डालें। हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र – ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें।

4. सर्वप्रथम आपको गणेश जी के मंत्रों का जाप और पूजन करना चाहिए।

5. भगवान गणपति का पूजन ‘गजाननम् भूत भू गणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपाद पंकजम्। इस मंत्र का जाप करें।

6. गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें मुख्य रूप से दूर्वा तथा मोदक अर्पित करें।

7. माता लक्ष्मी का पूजन (वास्तु के अनुसार करें दिवाली की पूजा)भी भगवान गणपति के साथ करें उसके लिए माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी के श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। इनके साथ आप धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन करें।

8. लक्ष्मी और गणेश जी का विधि विधान से पूजन करने के बाद मां काली का पूजन भी रात्रि में किया जाता है।

पूजन के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और भोग अर्पित करें।

9. आरती के आबाद भोग परिवार जनों में वितरित करें।

लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन के बाद दीये प्रज्वलित करें। सबसे पहले आप लक्ष्मी जी के सामने 5 या 7 घी के दीये प्रज्वलित करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button