उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहार हरेला पर्व का महत्व
उत्तराखंड का लोक प्रिय पर्व हरेला सुख सम्रद्धि और खुशाली का पर्व माना जाता है जिसमे सभी लोग बड़ी ही श्रद्धा से यह पर्व मनाते हैं हरेला पर्व इस पर्व में मां अपने बच्चे को आशीर्वाद देती हैं और हरेला की शुभकामनाएं देते हुए उनको खुश रहने का आशीर्वाद देती है हरेला पर्व पहाड़ियों का पारंपरिक पर्व है हरेला मूल रूप से देवभूमि उत्तराखंड राज्य में कुमाउनी सावन मास को हर्ष उल्लाश से मनाया जाता है रीति-रिवाजों और संस्कृतियो से जुड़ा यह त्योहार कुमाऊं मंडल में मनाया जाता है
उत्तराखंड का लोक प्रिय पर्व हरेला सुख सम्रद्धि और खुशाली का पर्व माना जाता है जिसमे सभी लोग बड़ी ही श्रद्धा से यह पर्व मनाते हैं हरेला पर्व इस पर्व में मां अपने बच्चे को आशीर्वाद देती हैं और हरेला की शुभकामनाएं देते हुए उनको खुश रहने का आशीर्वाद देती है हरेला पर्व पहाड़ियों का पारंपरिक पर्व है हरेला मूल रूप से देवभूमि उत्तराखंड राज्य में कुमाउनी सावन मास को हर्ष उल्लाश से मनाया जाता है रीति-रिवाजों और संस्कृतियो से जुड़ा यह त्योहार कुमाऊं मंडल में मनाया जाता है
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इस दिन घर में नए पौधे लगाए जाते हैं वहीं घरों में सारे लोग मिलकर हरेला उगाते है जिससे हरेला पर्व के दिन घर के लोग मिल कर हरेला की पूजा करते है
हरेला पर्व कर्क संक्रांति की श्रावण मास के पहले दिन मनाया जाता है यह पर्व उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में विशेष रूप से मनाया जाने वाला पर्व है हरेला हर घरों में मनाया जाता है घर घर में हरेला लगाया जाता है
इस बार हरेला पर्व 17 जुलाई दिन सोमवार को मनाया जाएगा हरेला उत्तराखंड का मुख्या पर्व है हरला का अर्थ है हरियाली का दिन और ये भगवन शिव और देवी पार्वती की पूजा करने की लिए श्रावण महीने में मनाया जता है। पहला – चैत्र मास, दूसरा – सावन मास, तीसरा – आश्विन मास में।