जाने राखी बांधने का सही दिन कौन सा है
रक्षाबंधन हिदुओं और जैनियों का त्योहार है, जो प्रतिवर्ष सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को को बहन-भाई के स्नेह का पर्व माना जाता है। रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है।
रक्षाबंधन हिदुओं और जैनियों का त्योहार है, जो प्रतिवर्ष सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को को बहन-भाई के स्नेह का पर्व माना जाता है। रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है।
रक्षाबंधन के दिन बाजार में कई सारे उपहार बिकते हैं। बाजार में भी उपहार, नए कपड़े व मिठाईयों को खरीदने के लिए लोगों की सुबह से शाम तक भीड़ होती है। घर में मेहमानों का आना जाना रहता है। इस प्रसिद्ध पर्व के दिन भाई अपनी बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है।
राखी कच्चे सूत जैसी सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने या चांदी जैसी मंहगी वस्तु तक की हो सकती है। यहां ‘रक्षा’ से मतलब सुरक्षा व ‘बंधन’ का मतलब बाध्य है। रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है।
इस बार रक्षाबंधन कब मनाया जाए व कब है राखी बांधने का सही समय इसे लेकर संशय बना हुआ है। कई लोगों का मानना है कि यह पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा और कईयों का कहना है कि 31 अगस्त को भाईयों की कलाई पर राखी सजेगी। लेकिन इस बार 30 अगस्त को भद्रा की महादशा लग रही है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, भद्रा में राखी का पर्व मनाना बेहद अशुभ माना जाता है इसलिए ज्योतिषाचार्यों ने इस असमंजस को दूर करते हुए 31 अगस्त को ही राखी बांधने के लिए शुभ बताया है।
बाजारों में उपहारों के लिए लगी रहती है भीड़
मान्यता है कि इस पर्व के दिन बहनें अपने भाई को ही राखी बांधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बांधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बांधी जाती है।
भद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाती है व रात्रि के समय भी राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है लेकिन 30 अगस्त को रात के समय में भद्रा खत्म होगा। ऐसे में धर्म और निर्णय सिंधु के अनुरूप रक्षाबंधन 31 को ही मनाया जाएगा।