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प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण माता सुरकांडा देवी मंदिर की रोचक कथा

सुरकंडा देवी का मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी गढ़वाल ज़िले के काणाताल गाँव में स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह धनौल्टी से 8 किमी दूर 2756 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह जगह जंगलों से गिरा हुआ है अधिकतर समय यहां कोहरा रहता है जिससे इसकी शोभा और बढ़ जाती है प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक यह मंदिर अपनी चमत्कारिक रूप से भी शक्तियों से भी परिपूर्ण है।

देवताओं की भूमि उत्तराखंड में न जाने कितने रहस्य छुपे हुए हैं उन्हें रहस्यों में से एक है माता सुरकंडा देवी का मंदिर जो की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है यहां जाने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है यहां जा कर मन को एक अद्भुत शांति प्राप्त होती है माता सुरकंडा देवी तक पहुंचाने के लिए भक्तों को ऊंची पहाड़ी चढ़नी होती है तब जाकर माता के स्वरूप का दर्शन होता है यहां पर कई बार सर्द मौसम में बर्फबारी भी होती है जिससे मंदिर की सुंदरता और भी बढ़ जाती है मंदिर सफेद चादर से लिपटी हुई होती है मंदिर को देखने वाले लोग देखते ही रह जाते हैं मंदिर से पूरे आसपास का नजारा अलौकिक होता है प्रकृति की सुंदरता हमारा मन मोह लेती है सबसे अलग बसा यह मंदिर भक्तों के मन को शांत करता है।

सुरकंडा देवी का मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी गढ़वाल ज़िले के काणाताल गाँव में स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह धनौल्टी से 8 किमी दूर 2756 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह जगह जंगलों से गिरा हुआ है अधिकतर समय यहां कोहरा रहता है जिससे इसकी शोभा और बढ़ जाती है प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक यह मंदिर अपनी चमत्कारिक रूप से भी शक्तियों से भी परिपूर्ण है।

 

कहा जाता है माता सुरकंडा देवी के मंदिर का इतिहास सती माता की कथा से जुड़ा है, जो तपस्वी भगवान शिव की पत्नी और पौराणिक देव-राजा दक्ष की बेटी थीं। दक्ष अपनी बेटी के पति के चुनाव से नाखुश थे, और जब उन्होंने सभी देवताओं के लिए एक भव्य वैदिक यज्ञ किया, तो उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया। माता सती को बुरा लगा और वह यज्ञ में जा पहुंची, और अपने पिता के द्वारा भगवान शिव का अपमान माता सती सह नहीं पाई और माता सती ने क्रोध में आकर स्वयं को अग्नि में झोंक दिया, जब भगवान शिव को यह बात पता चली वह बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने माता सती के शरीर को अपने कंधे पर रखा और पूरे स्वर्ग में अपना तांडव ( नृत्य) शुरू कर दिया, और तब भगवान शिव का भयंकर तांडव देखकर अन्य देवता भयभीत हो गए और भगवान शिव के भयंकर तांडव से सारे लोक कांप उठे तब अन्य देवताओं ने भगवान विष्णु से शिव को शांत करने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने
माता सती के शव को नष्ट करने के लिए अपना सुदर्शन चक्र चलाया। माता सती के व के 51 टुकड़े हुए जो की पूरी पृथ्वी पर जा गिरे । यह देखकर शिव महातपस्या करने बैठ गये।

विभिन्न मिथकों और परंपराओं के अनुसार, माता सती के शरीर के 51 टुकड़े भारतीय उपमहाद्वीप में बिखरे हुए हैं। इन स्थानों को शक्तिपीठ कहा जाता है । और ये विभिन्न शक्तिशाली देवी को समर्पित हैं। माना जाता है की माता सती का सर जहां पर गिरा वह माता सुरकंडा देवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। माता सरकुंडा देवी या सुरखंडा देवी का आधुनिक मंदिर है और जिसके कारण मंदिर का नाम सिरखंडा पड़ा। यहां पर देवी देवताओं भी अपनी मुरादों को लेकर आते थे और उनकी सारी मुरादे पूरी भी हुई इस तरह कई भक्तों की मुरादे माता ने पुरी की है कहते हैं इस मंदिर में सच्चे मन से जो कुछ भी मांगो माता वह मुराद जरूर पूरी करती हैं।

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