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गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं, गणेश चतुर्थी का महत्व

बौद्धिक ज्ञान के देवता कहे जाने वाले गणपति के आशीर्वाद से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। इसीलिए भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं। भक्त गणपति की पूजा करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हैं, ताकि उनसे कोई गलती ना हो जाएं। लेकिन अक्सर जानकारी न होने के अभाव में वे भगवान गणेश जी को ये कुछ चीज़ें चढ़ाना भूल जाते हैं। पहला मोदक का भोग और दूसरा दूर्वा (एक प्रकार की घास) और तीसरा घी। ये तीनों ही गणपति को बेहद प्रिय हैं। इसीलिए जो भी व्यक्ति पूरी आस्था से गणपति की पूजा में ये चीज़ें चढ़ाता है तो उस व्यक्ति को गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

’’वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।”

भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक हैं. भारत में लोग कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते है. भगवान गणेश को विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी बुलाया जाता है। गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है.

भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक हैं. भारत में लोग कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते है. भगवान गणेश को विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी बुलाया जाता है। गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता।

बौद्धिक ज्ञान के देवता कहे जाने वाले गणपति के आशीर्वाद से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। इसीलिए भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं। भक्त गणपति की पूजा करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हैं, ताकि उनसे कोई गलती ना हो जाएं। लेकिन अक्सर जानकारी न होने के अभाव में वे भगवान गणेश जी को ये कुछ चीज़ें चढ़ाना भूल जाते हैं। पहला मोदक का भोग और दूसरा दूर्वा (एक प्रकार की घास) और तीसरा घी। ये तीनों ही गणपति को बेहद प्रिय हैं। इसीलिए जो भी व्यक्ति पूरी आस्था से गणपति की पूजा में ये चीज़ें चढ़ाता है तो उस व्यक्ति को गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

ऐसी माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति के ऊपर मिथ्या कलंक यानि बिना किसी वजह से व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप लगता है। पुराणों के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन किया था, जिसकी वजह से उन्हें भी मिथ्या का शिकार होना पड़ा था। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को लेकर एक और पौराणिक मत है जिसके अनुसार इस चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था। इस वजह से ही चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को निषेध माना गया। अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें। श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।

रिद्धि सिद्धि के देवता गणपति के पूजन में प्रसाद के रूप में खासतौर पर मोदक का भोग ज़रूर लगाया जाता है। कहा जाता है कि मोदक गणपति को बहुत पसंद है। लेकिन इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं छिपी हुई हैं। पुराणों के अनुसार गणपति और परशुराम के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान गणपति का एक दांत टूट गया। इसके चलते उन्हें खाने में काफी परेशानी होने लगी। उनके कष्ट को देखते हुए कुछ ऐसे पकवान बनाए गए जिसे खाने में आसानी हो और उससे दांतों में दर्द भी ना हो। उन्हीं पकवानों में से एक मोदक था। मोदक खाने में काफी मुलायम होता है। माना जाता है कि श्री गणेश को मोदक बहुत पसंद आया था और तभी से वो उनका पसंदीदा मिष्ठान बन गया था। इसलिए भक्त गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाने लगे। हालांकि मोदक के विषय में कुछ पौराणिक धर्मशास्त्रों में भी जिक्र किया गया है। मोदक का अर्थ होता है – ख़ुशी या आनंद। गणेश जी को खुशहाली और शुभ कार्यों का देव माना गया है इसलिए भी उन्हें मोदक चढ़ाया जाता है।

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