चैत्र नवरात्रि की शुरुआत और इसके पीछे की कथा
सनातन धर्म में नवरात्र के पर्व को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा। ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना कर मां दुर्गा की विशेष पूजा कर सकते हैं।
देशभर में नवरात्र का पर्व अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्र का अर्थ है कि ‘नौ विशेष रातें’। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है।
9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू है और इस नवरात्रि पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है। 30 साल बाद इस नवरात्रि पर अमृत सिद्धि योग बना है। नक्षत्रों में पहला नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र माना जाता है और अगर अशिवनी नक्षत्र मंगलवार को पड़े, तो उसे अमृत सिद्धि योग कहा जाता है। इस बार की चैत्र नवरात्रि की शुरुआत इसी से हो रही है। इस अद्भुत योग के बारे में अथर्ववेद में कहा गया है कि अश्विनी नक्षत्र में माता की पूजा करने से मृत्यु के समान कष्टों से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि से बहुत लोग परिचित हैं लेकिन बेहद जागरुक लोग ही चैत्र नवरात्रि के बारे में जानते हैं। ज्यादातर लोग अक्टूबर-नवम्बर में मनाई जाने वाली नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं।
भारत में एक साल में चैत्र, आषाढ़, आश्विनी या शरद, पौष और माघ के महीनों में कुल मिलाकर पांच बार नवरात्रि आती है लेकिन इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्र ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है।सभी नवरात्रि में पूरे नौ दिन तक इस त्योहर को मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि, चैत्र के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुवात होती है। पौष और आषाढ़ के महीने की नवरात्रि को ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है, क्योंकि उस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है। पारिवारिक लोगों द्वारा केवल चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही मनाया जाता है। मराठी लोग चैत्र नवरात्रि को ‘गुड़ी पड़वा’, कश्मीरी हिंदू ‘नवरे’ आंध प्रदेश, तेलांगना और कर्नाटक इसे ‘उगादी’ के नाम से मनाते हैं। नौ दिन चलने वाले इस त्योहार को ‘रामनवमी’ भी कहते हैं क्योंकि उसका समापन भगवान राम के जन्मदिन ‘रामनवमी’ वाले दिन होता है।
सनातन धर्म में नवरात्र के पर्व को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा। ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना कर मां दुर्गा की विशेष पूजा कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि की कथा
जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया था और वरदान के कारण कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सका, तो ऐसे में देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा करने को कहा। इसके बाद मातारानी ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए, जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्तिशाली बनाया। ये क्रम चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला और यही कारण है कि इन नौ दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा।
09 अप्रैल 2024 – घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
10 अप्रैल 2024 – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
11 अप्रैल 2024 – मां चंद्रघंटा की पूजा
12 अप्रैल 2024 – मां कुष्मांडा की पूजा
13 अप्रैल 2024 – मां स्कंदमाता की पूजा
14 अप्रैल 2024 – मां कात्यायनी की पूजा
15 अप्रैल 2024 – मां कालरात्रि की पूजा
16 अप्रैल 2024 – मां महागौरी की पूजा
17 अप्रैल 2024 – मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी