योग में बी.एससी की पढ़ाई कर रहीं गुलनाज परवीन बताती है कि हमारे शरीर में प्राण के अनियंत्रित होने से रोग उत्पन्न होता है ए प्राण हमारे शरीर को गति प्रदान करते हैं अतः योग में इन प्राणों को नियंत्रित करने के लिए प्राणायाम करना चाहिए
ग्रीष्म ऋतु आते ही लोग गर्मी से बेहाल हो जाते हैं और पानी , हेल्थी आहार लेते हैं परन्तु योग छात्रा गुलनाज परवीन का कहना है कि यदि ग्रीष्म ऋतु में सीत्कारी प्राणायाम का अभ्यास करें तो गर्मी से निजात पा सकते हैं
योग छात्रा गुलनाज परवीन बता रही हैं सीत्कारी प्राणायाम की विधि,लाभ, सावधानी इत्यादि
विधि : यह शीतली प्राणायाम की भाँति है किंतु जिव्हा की स्थिति में अंतर है। जिव्हा के आगे के भाग को इस तरह पीछे की तरफ़ मोड़िए कि उसके आगे के भाग का स्पर्श ऊपरी तालु से हो। दाँतों की पंक्ति को एक-दूसरे से मिलाइए और होठों को फैलाइए। अब सी..सी.. की आवाज़ करते हुए श्वास लें और फेफड़ों में भरें। जालंधर बंध लगाएँ व मुँह बंद करें तथा नाक से धीरे-धीरे रेचक करें। यह एक चक्र हुआ। इस तरह 8-10 बार करें।
विशेष : बिना बंध के भी कर सकते हैं।
लाभ :-
* ग्रीष्म ऋतु में करने से शरीर ठंडा रहता है।
• शीतली के सभी लाभ मिलते हैं।
• गले, मुख, नाक रोग में लाभ मिलता है।
• पित्त-प्रकृति वाले अवश्य करें। लाभ प्राप्त होता है।
• उच्च रक्तचाप को सामान्य करता है।
सावधानी : निम्न रक्तचापवाले न करें।
• वात-प्रकृति के व्यक्ति न करें।